tag:blogger.com,1999:blog-2564199165524168562.post2355909489795667613..comments2024-03-29T01:17:41.089+05:30Comments on Prophet666 : Uchchatan By Gangajal MantraUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2564199165524168562.post-73357887622462697972017-07-16T22:41:36.368+05:302017-07-16T22:41:36.368+05:30Respected Guruji, I am a very religious person and...Respected Guruji, I am a very religious person and a physic by nature and wants to enter into the world of meditation of tantra - mantra. I want to learn tantra mantras and I want you to be my respected guru for this. Please show me the way how I can able to enter into the kingdoms of God Dev-devis, Yaksh-Yakshini etc. Guruji please feel free to contact in my email: mbaruah32@gmail.com. Bless me to go ahead.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13822012741741138834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2564199165524168562.post-56014462081502933312017-07-09T14:48:50.265+05:302017-07-09T14:48:50.265+05:30शिवजी आगे कहते हैं--
द्वितीया,तृतीया,पंचमी,सप्तमी...शिवजी आगे कहते हैं--<br /> द्वितीया,तृतीया,पंचमी,सप्तमी को बुधवार,वृहस्पतिवार आए तो शांति कर्म करना चाहिए . शुक्ल पक्ष की चतुर्थी,शश्ठि,नवमी,त्रयोदशी को सोमवार ,वृहस्पतिवार आने पर वशीकरण कर्म प्रशस्त होता है.विद्वेशण मे शुकलपक्ष की अष्टमी,नवमी,दशमी,एकादशी को शुक्र या शनि का दिन हो,तो शुभ होता है.यदि कृष्णपक्ष की अष्टमी,चतुर्दशी को शनिवार हो तो फलसिद्धि के लिए उच्चाटन कर्म करना चाहिए .कृष्णपक्ष की अष्टमी,चतुर्दशी,अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की प्रतिपदा रवि,मंगल,शनिवार का दिन हो तो तो स्तंभन और मारण कर्म सिद्ध हो जाता है .<br />(10)आसन--शांति आदि षटकर्मो मे क्रमश:पद्मासन,स्वस्तिकासन,विकटासन,कुक्कुटासन,वज्रासन एवं भद्रासन का उपयोग करना चाहिए.<br />नोट--लेखनी,माला,होम,समिधा,श्रुवा,ब्राह्मणभोज आदि का भी विस्तृत वर्णन है, जिसकी यहाँ आवश्यकता नही है.साधक साइट मे दिए गए निर्देशो का पालन करें .satyanidhihttps://www.blogger.com/profile/03879873292333024773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2564199165524168562.post-74727935137779293992017-07-08T21:09:49.707+05:302017-07-08T21:09:49.707+05:30इस साइट के पाठक उच्चाटन शब्द से भलीभाँति परिचित हो...इस साइट के पाठक उच्चाटन शब्द से भलीभाँति परिचित होंगे .<br />एक समय भवानी ने शिवजी से पूछा कि संसारी जीव वेदादि मंत्रो को जानते हुए भी दुखी क्यों रहते हैं .शिवजी ने उत्तर दिया कि मंत्र तंत्रों को जानते हुए भी उनकी सिद्धि का उपाय पूर्ण रूप से नही करते ,इसलिए सिद्धि नही मिलती .तब शिवजी ने सिद्धि और उपाय बताए-<br />(1)कर्म--कर्म 6 प्रकार के होते हैं-शान्तिकरण ,वशीकरण,स्तंभन,विद्वेषण,उच्चाटन,मारण (2).रोग,कृत्या और ग्रह आदि का निवारण शान्तिकरण है. मनुष्यों को वश मे कर लेना वशीकरण है .चलते हुए को रोकना स्तंभन है.परस्पर मित्रता वालों मे बैर उत्पन्न करना विद्वेषण है.एक स्थान से निकलकर कहीं दूर चले जाना उच्चाटन है .जीवधारियों के प्राण लेना मारण है.<br />(3)देवता --शांति कर्म की अधिष्ठा त्री देवी रति है .वशीकरण की सरस्वती, स्तंभन की लक्ष्मी,विद्वेषण की ज्येष्ठा ,उच्चाटन की दुर्गा,मारण की भद्रकाली है.<br />(4)दिशा--शांति कर्म मे ईशान ,वशीकरण मे उत्तर,स्तंभन मे पूर्व,विद्वेषण मे नैऋत्य,उच्चाटन मे वायव्य और मारण मे अग्नि दिशा मे मुख होना चाहिए .<br />(5)ऋतुविचार --सूर्योदय से लेकर प्रत्येक रातदिन मे दस दस घड़ी (चार घंटे)मे वसंत,ग्रीष्म,वर्षा,शरद,हेमंत,शिशिर सब ऋतु भोग जाया करती हैं .<br />(6)कर्तव्य कर्म--हेमंत ऋतु मे शांति कर्म,वसंत मे वशीकरण,शिशिर मे स्तंभन,ग्रीष्म मे विद्वेष ,वर्षा मे .<br />उच्चटन और शरद ऋतु मे मारण कर्म करना उचित है.<br />(7)काल विशेष--दुपहर पहले वशीकरण,मध्यान्ह मे विद्वेषण और उच्चाटन ,तीसरे पहर शांति कर्म और स्तंभन ,तथा सायंकाल मारण कर्म करे.satyanidhihttps://www.blogger.com/profile/03879873292333024773noreply@blogger.com